✍️📙Teaching_Series "पढ़ोगे नहीं, तो सीखोगें कैसे" पढ़ाई के जुनून ने बनाया अन्वेषक, छोटी सी उम्र में बना दी नई भाषा..... हम बात कर रहे है, नेत्रहीनों को पढ़ने-लिखने की काबिलियत देने वाले लुई ब्रेल की लुई ब्रेल फ्रांस के निवासी थे, एक दिन जब वह 3 साल के थे, तो वह अपने पिता के औजारों से खेल रहे थे अचानक एक नुकीले उपकरण से उनकी आंखों में चोट लग गई और उन्हें दिखाई देना बंद हो गया। पढ़ाई में उनकी गहरी रुचि थी, उन्होंने हार नहीं मानी और वह पढ़ने लिखने के अलग-अलग तरीके सोचने लगे। अंत में उन्होंने छूकर और महसूस करके पढ़ने का एक रास्ता ढूंढ लिया, पढ़ने के इस तरीके को बाद में ब्रेल लिपि के नाम से जाना जाने लगा। इस प्रकार की लिपि में एक मोटे कागज पर उभरे हुए बिंदुओं की एक पंक्ति बनाई जाती है क्योंकि यह बिंदु भरे हुए होते हैं इसलिए इन पर उंगलियाँ चला कर इन्हें पढ़ा जा सकता है, यह लिपि 6 बिंदुओं पर आधारित होती है। 💯लुई ब्रेल के इस साहस और जज्बे को सादर प्रणाम!!