Teaching Series:ऐसे थे तेनाली रामकृष्ण
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✍️ऐसे थे तेनाली रामकृष्ण
(कलात्मक सत्य)......पढ़िए जरूर
"क्योकि, पढ़ोगे नहीं, तो सीखोगे कैसे!!"
राजा कृष्णदेव राय की साहित्य में हाथ आजमाने की सूझी। उन्होंने दिमाग का खपाते हुए एक कविता लिख डाली और उसे अपनी पत्नी को सुनाया। पत्नी को खराब कविता को अच्छा बताना पति धर्म लगा तो उन्होंने कह दिया कि बहुत अच्छी कविता है, पर कृष्णदेवराय को संतुष्टि नहीं मिली। फिर उन्होंने सभी मंत्रियों को कविता सुनाकर उनसे उनकी राय पूछी, राजा की लिखी कविता है, यह सोच सभी मंत्री वाह-वाह करने लगे। राजा को फिर भी संतुष्टि नहीं मिली उन्हें लगा कि तेनालीराम ही इसकी सच्ची समीक्षा कर सकता है, उन्होंने तेनालीराम को बुलाया और उनसे पूछा तो वह कुछ रुके और फिर बोले महाराज आपका हर कार्य अव्वल होता है, आपने खराब कविता भी लिखनी चाही और उसमें भी सफल रहे, राजा सच समझ गए।
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